पत्तियाँ पीली हुई पीपल के झाड़ की
बरफ़ पिघलने लगी दोस्तों पहाड़ की
छुट्टा छोड़ दिया किस ने सूरज को
जैसे सांकल खुल गई हो सांड़ की
सुबह से ही लहकने लगी है गरमी
सटक गई बेचारे कूलर जुगाड़ की
कट गए सब पेड़ हरियाली है गायब
दशा खराब हुई अब गांव गुवाड़ की
त्राहि त्राहि मची पारा भी चढ गया
बस जरुरत है यारों पहली फ़ुहार की