शिल्पकार. Blogger द्वारा संचालित.

चेतावनी

इस ब्लॉग के सारे लेखों पर अधिकार सुरक्षित हैं इस ब्लॉग की सामग्री की किसी भी अन्य ब्लॉग, समाचार पत्र, वेबसाईट पर प्रकाशित एवं प्रचारित करते वक्त लेखक का नाम एवं लिंक देना जरुरी हैं.
रफ़्तार
स्वागत है आपका

गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

आएगा ॠतुराज बसंत मेरे द्वार!!

ज बसंत पंचमी है और प्रकृति का सबसे सुहाना मौसम प्रारंभ हो रहा है। कवियों इस मौसम का गुणगान करते हुए ना जाने कितने ग्रथ रच दिए। इस मौसम का आनंद ही कुछ और है। बस कुछ दिन बाद पलास के फ़ुल खिलेंगे एक हरितिमा मिश्रित लालिमा से धरती का श्रृंगार होगा। महुआ के फ़ुल झरेंगे जिसकी खुशबु से वातावरण मतवाला हो जाएगा। प्रकृति मदमस्त हो जाएगी। इस समय मैने यह कविता 14जनवरी 1987 को लिखी थी। आपका आशीर्वाद चाहुंगा।


आज यादों के सुमन खिले हैं
फ़िर खुला सपनों का आगार
क्युं मेरा मन विकल हुआ है
आएगा ॠतुराज बसंत मेरे द्वार

आज बसंत का जन्म दिवस है
क्युं टीसें उठ रही है इस दिल में
तुम्हारी खोयी हुई यादो की पुन:
ज्युं कली खिली हो इस दिल मे

बसंत आया फ़िर क्युं वीरान है
इन जागी उम्मीदों का चमन
क्युं राज छिपा के इस दिल मे
आनंदित नही है कोई सुमन

लिए बैठा हुँ इक आस चमन मे
चुपके से कहीं कोई फ़िर आएगा
भर कर झोली मे बासंती रंग
अपने दोनो हाथों से खुब लुटायेगा

मेरा स्वप्न कभी साकार न हुआ
ना ही  कहीं बसंत फ़िर आएगा
वही कांटों की सेज और तनहाई
वह ललित बसंत फ़िर नही आएगा


आपका
शिल्पकार

Comments :

12 टिप्पणियाँ to “आएगा ॠतुराज बसंत मेरे द्वार!!”
गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…
on 

हैं महराज!
बसंत में ऐसे हुआ जाता है क्या?
जमीन पर बिछे पत्तों के उपर ही फूल होते हैं। चुनिए , उत्सव मनाइए। पत्ते कुरेदने के लिए तो और ऋतुएँ पड़ी ही हुई हैं।

Udan Tashtari ने कहा…
on 

बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.

Unknown ने कहा…
on 

"बसंत आया फ़िर क्युं वीरान है
इन जागी उम्मीदों का चमन
क्युं राज छिपा के इस दिल मे
आनंदित नही है कोई सुमन"

वसन्त! और सुमन आनन्दित नहीं?

मुझे तो लगता है कवि आनन्दित नहीं है। होता है ऐसा कई बार।

GULMOHAR ने कहा…
on 

बसंत...............बसंत

Gyan Darpan ने कहा…
on 

बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…
on 

बसंती पंचमी की घणी रामराम.

रामराम

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…
on 

मैं भी "पंचमी" के आने की आश लगाए बैठा हूँ ललित जी, आपको वसंत पंचमी की शुभकामनाये !

मनोज कुमार ने कहा…
on 

वसंर पंचमी की शुभकामनाएं।

राज भाटिय़ा ने कहा…
on 

आप को बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.चलिये हम आ रहे है भारत कई सालो के बाद बसंत देखने अपने देश का

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…
on 

बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ

شہروز ने कहा…
on 

बसंत आया फ़िर क्युं वीरान है
इन जागी उम्मीदों का चमन
क्युं राज छिपा के इस दिल मे
आनंदित नही है कोई सुमन

दशक-भर पूर्व लिखी यह कविता यदि आज आपके सोच-विचार भावनाओं के निकट है तो यह प्रमाण है आपकी संवेदनशीलता का.

लेकिन क्या शिल्प की जानिब दृष्टि गयी है आपकी, क्या मज़ा आता , या यूँ कहें कि दुगुना हो जाता,यदि आप इसे फिर-फिर लिखते.

भाई अफ़सोस कि मेरी नज़र देर से पहुंची!!

बहुत ही प्रेमिल कविता, सचमुच!

मेरी गुस्ताखियों को अरपा में विसर्जित कर दीजिएगा.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…
on 

शहरोज भाई-आपका स्नेह मेरे जीवन की अक्षय पुंजी है। यह कविता आज से 22वर्ष पुर्व लिखी गई थी उस वक्त मुझे शिल्प क्या होता है?यही नही पता था। मैने पुरानी कवि्ताओं के साथ छेड़ छाड़ इसलिए नही कि क्युंकि ये उस समय की मेरी जो भी लेखन की अपरिपक्वता को उजागर करती हैं। जिससे भविष्य मे और भी सुधार की आशा रहेगी। यही मेरी प्रेरणा है। मैने भावो को प्रकट करने के लिए शब्दों का माध्यम चुना बस और कुछ नही। आप स्नेह और आशीष बनाए रखें।
धन्यवाद्।

 

लोकप्रिय पोस्ट

पोस्ट गणना

FeedBurner FeedCount

यहाँ भी हैं

ईंडी ब्लागर

लेबल

शिल्पकार (94) कविता (65) ललित शर्मा (56) गीत (8) होली (7) -ललित शर्मा (5) अभनपुर (5) ग़ज़ल (4) माँ (4) रामेश्वर शर्मा (4) गजल (3) गर्भपात (2) जंवारा (2) जसगीत (2) ठाकुर जगमोहन सिंह (2) पवन दीवान (2) मुखौटा (2) विश्वकर्मा (2) सुबह (2) हंसा (2) अपने (1) अभी (1) अम्बर का आशीष (1) अरुण राय (1) आँचल (1) आत्मा (1) इंतजार (1) इतिहास (1) इलाज (1) ओ महाकाल (1) कठपुतली (1) कातिल (1) कार्ड (1) काला (1) किसान (1) कुंडलियाँ (1) कुत्ता (1) कफ़न (1) खुश (1) खून (1) गिरीश पंकज (1) गुलाब (1) चंदा (1) चाँद (1) चिडिया (1) चित्र (1) चिमनियों (1) चौराहे (1) छत्तीसगढ़ (1) छाले (1) जंगल (1) जगत (1) जन्मदिन (1) डोली (1) ताऊ शेखावाटी (1) दरबानी (1) दर्द (1) दीपक (1) धरती. (1) नरक चौदस (1) नरेश (1) नागिन (1) निर्माता (1) पतझड़ (1) परदेशी (1) पराकाष्ठा (1) पानी (1) पैगाम (1) प्रणय (1) प्रहरी (1) प्रियतम (1) फाग (1) बटेऊ (1) बाबुल (1) भजन (1) भाषण (1) भूखे (1) भेडिया (1) मन (1) महल (1) महाविनाश (1) माणिक (1) मातृशक्ति (1) माया (1) मीत (1) मुक्तक (1) मृत्यु (1) योगेन्द्र मौदगिल (1) रविकुमार (1) राजस्थानी (1) रातरानी (1) रिंद (1) रोटियां (1) लूट (1) लोकशाही (1) वाणी (1) शहरी (1) शहरीपन (1) शिल्पकार 100 पोस्ट (1) सजना (1) सजनी (1) सज्जनाष्टक (1) सपना (1) सफेदपोश (1) सरगम (1) सागर (1) साजन (1) सावन (1) सोरठा (1) स्वराज करुण (1) स्वाति (1) हरियाली (1) हल (1) हवेली (1) हुक्का (1)
hit counter for blogger
www.hamarivani.com