मै
एक छोटी सी
लहर हूँ
समन्दर की
मैं चाहने लगी हूँ
उस चाँद को
उसका आकर्षण
मुझे प्रेरित करता है
आकर्षित करता है
उसका सलोना बांकपन
मुझे मोह लेता है
मै डूबना चाहती हूँ
आनंद में
अनुभूति करना चाहती हूँ
प्रणय की पराकाष्ठा की
मै भी
अस्तितत्व बनाना चाहती हूँ
उन उतुंग पहाडों सा
जो कभी लहरें थे
मेरी तरह
मिलन के आनंद ने
स्थिर कर दिया
उन्हें इस संयोग ने
योगी बना दिया
एक स्पर्श ने
वुजूद दे दिया
योगी बना दिया
आपका
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
उसका सलोना बांकपन
मुझे मोह लेता है
लाजवाब प्यार का इतना सुन्दर रूप !!! सचमुच मोहने वाला
सुन्दर रचना!
Khubsurat Bhav se nihit sundar kavita..dhanywaad!!!
बहुत ही खूबसूरत रचना।
राम.....राम....
बहुत ही लाजवाब कविता...
आपको नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें...
बहुत खूबसूरत रचना ललित जी ,
...और फिर ज्वार आ जाता है
उन सुनशान पड़े किनारों पर ......!
बहुत बढ़िया रचना . नववर्ष की अग्रिम शुभकामना
dino din behatar kavitaen de rahe ho danaadan... achchha hai. vab varsh ki agrim shubhkamanae.....
दूसरे की बढ़ती किसे अच्छी लगती है मगर जरा इस पगली लहर को तो देखिये चाँद की बढ़त से बौरा उठी है
बेहद खूबसूरत रचना.
नये साल की रामराम.
मुछो वाले भी बहुत सुंदर कविता लिख लेते है, यह आज ही जाना:), बहुत ही सुंदर ओर भाव पुर्ण कविता.
धन्यवाद
अरे ललित जी आपने शायद वो तस्वीर नहीं देखी चाँद की जो नासा ने भेजी है उसे देख लें पहले । वैसे रचना बहुत खूबसूरत है धन्यवाद्
उफ्फ!! क्या खूब!!
मुझसे किसी ने पूछा
तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
तुम्हें क्या मिलता है..
मैंने हंस कर कहा:
देना लेना तो व्यापार है..
जो देकर कुछ न मांगे
वो ही तो प्यार हैं.
नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति। बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
kitna masoom pyar hai.....
janti ha vo leher ki n mil payega vo chand use...fir bhi...intezar aur aas....
yahi to pyar ha...
bohot khoob...
shukriya
चाहत ही तो है
कर देती है आहत
बहुत खूब