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गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

समंदर का सफ़र है क्यों डरूं ऊँची लहरों से


आज  पुरानी   हवेली   के   किवाड़   खोलूँगा
तेरा   ख्याल    आया  तो   उदास   हो  लूँगा

तेरी   याद   में   आँखों    से   आंसू   गिरेंगे
चलो  एक  बार  फिर  से  मुंह  तो  धो लूंगा

बदलता  हुआ  मौसम  खुशबु  लायेगा तेरी
मैं  दिल  में  दुःख  के  नये  बिरवे  बो  लूँगा

भले  ही  तेरी   यादों  के  आ  जाये  तूफान
तू करीब  तो  आ  एक  बार  देख  तो  लूँगा

समंदर का सफ़र है क्यों डरूं ऊँची लहरों से
मैं  वो  नहीं  हूँ  जो अपनी कश्ती डुबो लूँगा

प्रीत  की  मय नहीं तो गम का जहर ही सही
सदियों की प्यास बुझेगी जब लब भिगो लूँगा

इस दिल का जलना भी एक अहसान है "ललित" 

गम   की   स्याह    रातों  को   तो   रौशन  बोलूँगा


आपका 
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)

Comments :

9 टिप्पणियाँ to “समंदर का सफ़र है क्यों डरूं ऊँची लहरों से”
IMAGE PHOTOGRAPHY ने कहा…
on 

खुबसुरत रचना...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…
on 

तेरी याद में आँखों से आंसू गिरेंगे
चलो एक बार फिर से मुंह तो धो लूंगा

yeh panktiyan dil ko chhoo gayin.........

behtareen shabdon ke saath ek khoobsoorat rachna......

Anil Pusadkar ने कहा…
on 

बदलते मौसम का असर है शायद जिसे देखो रोमांटिक हुआ जा रहा है,लगता एक दो ठो प्यार-व्यार वाली दबी-छीपी इच्छाओं से भरी कोई चीज़ लिखनी पड़ेगी।हा हा हा हा।बढिया रचना ललित भाई,लगता है ये साला ब्लाग मेनका का रोल निभायेगा और अपनी वाट लगा कर रहेगा।थोड़ी देर पहले ही महफ़ूज़ भाई के ब्लाग पर कमेण्ट कर के आया हूं कि रोमांटिक रचनायें पढना बंद करना पडेगा लगता है।हा हा हा हा हा।

निर्मला कपिला ने कहा…
on 

bबहुत खूब सूरत खास कर ये पँक्तियाँ
समंदर का सफ़र है क्यों डरूं ऊँची लहरों से
मैं वो नहीं हूँ जो अपनी कश्ती डुबो लूँगा
धन्यवाद्

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…
on 

@अनिल भैया ये आग आप ही की लगाई हुई है, दिवाली पर आप भुल गये क्या? इश्क-मुहब्बत की दास्तान। कोई कितना भी महफ़ुज हो बच नही सकता,
बंदर से भले आदमी हो जाये पर गुलांटी मारना कैसे भुल जायेगा--हा हा हा हम तो आपके ही शागिर्द है, हा हा हा

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…
on 

पहली बार आप की कविता पढ़ी है। पढ़ना अच्छा लगा।

सदा ने कहा…
on 

तेरी याद में आँखों से आंसू गिरेंगे
चलो एक बार फिर से मुंह तो धो लूंगा
बहुत ही सुन्‍दर एवं बेहतरीन प्रस्‍तुति, बधाई ।

रंजना ने कहा…
on 

तेरी याद में आँखों से आंसू गिरेंगे
चलो एक बार फिर से मुंह तो धो लूंगा

WAAH ! WAAH ! WAAH ! Kya baat kahi....

Bahut hi sundar gazal...

M VERMA ने कहा…
on 

समंदर का सफ़र है क्यों डरूं ऊँची लहरों से
मैं वो नहीं हूँ जो अपनी कश्ती डुबो लूँगा
बहुत खूबसूरत गज़ल
हर शेर छूती हैं

 

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