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कह गए नयन मेरे


ढूंढ़ते हैं 

तुझको
अरसे से
नयन मेरे 
तेरे जाने से
तुझे देखने
बहुत तरसे हैं
नयन मेरे
हर पल 
सावन से
अनवरत 
बहुत बरसे हैं
नयन मेरे
नहीं चैन
एक पल भी
व्याकुल थे
नयन मेरे
उस दिन 
जब तुम आई
तो मारे ख़ुशी के
छलक उठे 
नयन मेरे
ठहरा वक्त 
सिहर उठा मै
जब दिखे 
नयन तेरे
कुछ कहने को
तरसे अधर मेरे
ना अधर खुले
ना संवाद हुआ
जो कुछ
कहना था
कह गए 
नयन मेरे


आपका
शिल्पकार


(फोटो गूगल से साभार)

Comments :

11 टिप्पणियाँ to “कह गए नयन मेरे”
seema gupta ने कहा…
on 

बेहद ही भावुक अभिव्यक्ति सुन्दर

regards

वाणी गीत ने कहा…
on 

नयनों के सुनते सुनते अच्छी कविता
बन ही गयी ..!!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…
on 

@सीमा गुप्ता जी उत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद, स्नेह बनाए रखें-आभार

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…
on 

@वाणी गीत जी उत्साह वर्धन हेतु धन्यवाद, स्नेह बनाए रखें-आभार

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…
on 

सुन्दर अभिव्यक्ति !

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…
on 

धन्यवाद @पी.सी.गोदियालजी उत्साह वर्धन हेतु , स्नेह बनाए रखें-आभार

mehek ने कहा…
on 

behad khubsurat nazm,manbhawan.

Anil Pusadkar ने कहा…
on 

बहुत बढिया ललित बाबू,मगर ये सावन मे अनवरत वर्षा आजकल होती कंहा है,हा हा हा हा।क्या बात बदलते मौसम ने रोमांटिक कर दिया है क्या?

सदा ने कहा…
on 

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द संयोजन, भावमय प्रस्‍तुति, के लिये बधाई ।

M VERMA ने कहा…
on 

ना अधर खुले

ना संवाद हुआ

जो कुछ

कहना था

कह गए

नयन मेरे
अभिव्यक्ति की जुबान है नयन

SP Dubey ने कहा…
on 

मन के द्वार खुले हो तो ह्रिदय रस से सराबोर हो कर नयनो मे छलकने लगता है और सुन्दर कविता अभिव्यक्त हो गयी…………
पढ कर अच्छा लगा

 

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